वॉशिंगटन। अमेरिकी सरकार ने कई विदेशी छात्रों को वीजा रद्द होने का मेल भेजा था। इस मेल के जरिए छात्रों को अमेरिका छोड़ने के लिए कहा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इनमें से 50 फीसदी छात्र भारतीय हैं। अमेरिकन इमिग्रेशन लॉयर्स एसोसिएशन (एआईएलए) ने 327 छात्रों की जानकारी एकत्र की है। इनमें से 50 फीसदी से ज्यादा छात्र भारतीय हैं। भारत के बाद दूसरा नंबर चीन का है। इस सूची में शामिल 14 फीसदी छात्र चीनी हैं। अमेरिकी विदेश विभाग पिछले चार महीनों से विदेशी छात्रों के डेटा की जांच कर रहा है। इसके जरिए इजराइल के खिलाफ और हमास के समर्थन में प्रदर्शन करने वाले विदेशी छात्रों का वीजा रद्द किया जा रहा है।
अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो के मुताबिक 26 मार्च तक 300 से ज्यादा हमास समर्थक छात्रों का एफ-1 वीजा रद्द कर चुके हैं। इसमें कई भारतीय छात्र भी हैं। अमेरिकी सरकार एआई ऐप ‘कैच एंड रिवोक’ की मदद से ऐसे छात्रों की पहचान कर रही है। विदेश मंत्री रुबियो के मुताबिक 26 मार्च तक 300 से ज्यादा हमास समर्थक छात्रों का एफ-1 वीजा रद्द किया जा चुका है। इसमें कई भारतीय छात्र भी शामिल हैं।
इस ऐप की मदद से सबसे पहले 5 मार्च को तुर्किये की एक छात्रा की पहचान की गई थी। उसने सोशल मीडिया पर फिलिस्तीन के समर्थन में पोस्ट किया था, जिसके बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने उसका वीजा रद्द कर दिया था। यह मेल कई यूनिवर्सिटी के छात्रों को भेजा गया है। इसमें हार्वर्ड, कोलंबिया, येल, कैलिफोर्निया और मिशिगन यूनिवर्सिटी जैसे मशहूर संस्थान हैं। हालांकि कितनी यूनिवर्सिटीज के कितने छात्रों को यह मेल भेजा गया है, इसकी जानकारी अभी सामने नहीं आई है। 
ईमेल में छात्रों से कहा गया कि उनका एफ-1 वीजा अमेरिका के इमिग्रेशन एंड नेशनैलिटी एक्ट के तहत रद्द कर दिया है। अब अगर वे अमेरिका में रहते हैं तो उन पर जुर्माना लगाया जा सकता है, उन्हें हिरासत में लिया जा सकता है या उन्हें डिपोर्ट किया जा सकता है। ईमेल में यह भी बताया गया है कि छात्रों को उनके देशों के अलावा दूसरे देशों में भी भेजा जा सकता है। इसलिए बेहतर है कि छात्र खुद ही अमेरिका छोड़ दें।