अस्पताल घोटाले में फंसे दिल्ली के पूर्व मंत्री: सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन पर ACB ने दर्ज किया मामला

नई दिल्ली: राजधानी में हजारों करोड़ रुपये के कथित अस्पताल घोटाले में एक बड़ा अपडेट सामने आया है. दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने अब इस मामले में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज व सत्येंद्र जैन के खिलाफ आधिकारिक रूप से केस दर्ज कर लिया है. इसके साथ ही पीडब्ल्यूडी व स्वास्थ्य विभाग के कई सरकारी अधिकारियों तथा पांच निजी ठेकेदारों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है.
एफआईआर में दोनों मंत्री नामजद: एसीबी ने दोनों पूर्व मंत्रियों सौरभ भारद्वाज व सत्येंद्र जैन के अलावा जिन पांच ठेकेदारों को नामजद किया है. उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17-A के अंतर्गत केस दर्ज किया गया है. सरकारी अधिकारियों की अभी पहचान की जानी बाकी है और अभी उन्हें नामजद नहीं किया गया है. प्रारंभिक जांच में परियोजनाओं में भारी वित्तीय अनियमितताओं व जानबूझकर की गई गड़बड़ियों की बात सामने आई है, जिनका उल्लेख एफआईआर में भी किया गया है.
शिकायत से केस दर्ज होने तक की प्रक्रिया: इस मामले की शुरुआत भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता द्वारा 22 अगस्त 2024 को शिकायत देकर की गई थी. शिकायत में दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए तत्कालीन मंत्रियों की भूमिका पर सवाल खड़े किए थे. साथ ही उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 6 मई 2025 को सिफारिश की थी कि एसीबी इस मामले की जांच करे, जिसके बाद सक्षम प्राधिकरण से अनुमति मिली.
क्या कहती है प्रारंभिक जांच? प्रारंभिक जांच में एसीबी ने कई गंभीर आरोपों की पुष्टि की है. अस्पताल परियोजनाओं की लागत में जानबूझकर बढ़ोतरी की गई थी. लागत-कुशल उपायों को नजरअंदाज किया गया था. सार्वजनिक निधियों का दुरुपयोग किया गया. निष्क्रिय परिसंपत्तियां तैयार की गईं. इस तरह सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया गया.
विभागों की भूमिका: जांच के लिए एसीबी ने दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग (डीओवी) से अनुमति मांगी थी, जिसे स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग व लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने बिना आपत्ति के स्वीकार किया. पीडब्ल्यूडी ने आईसीय अस्पतालों और अन्य परियोजनाओं की समग्र जांच की सिफारिश भी की थी. सतर्कता विभाग ने यह भी बताया कि कई प्रोजेक्ट्स समय पर पूरे नहीं हुए, उनकी योजना व अनुमान त्रुटिपूर्ण थे. इससे लागत में अनावश्यक वृद्धि हुई.
प्रभावित परियोजनाएं: 24 हॉस्पिटल प्रोजेक्टv: वर्ष 2018-19 में अनुमोदित 5,590 करोड़ रुपये की व्यय पर 24 अस्पतालों (11 ग्रीनफील्ड और 13 ब्राउनफील्ड) का निर्माण आज तक पूरा नहीं हुआ है. व्यय में बहुत ज्यादा वृद्धि देखी गई है.
7 आईसीयू हॉस्पिटल: सितंबर 2021 में 1125 करोड़ रुपये से अनुमोदित अस्पतालों में 50 प्रतिशत ही काम पूरा हुआ है. व्यय बढ़कर 800 करोड़ तक पहुंच गया है.
लोक नायक अस्पताल: 465.52 करोड़ से शुरू होकर इस परियोजना की लागत अब 1125 करोड़ रुपये हो गई है.
पॉलीक्लीनिक परियोजना: 94 की जगह केवल 52 पॉलीक्लिनिक बने हैं. लागत 168.52 करोड़ से 220 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है.
एचआईएमएस परियोजना में देरी: पारदर्शिता को दरकिनार करते हुए NIC की कम लागत वाली 'ई-हॉस्पिटल' प्रणाली को बार-बार खारिज किया गया.