पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल ने अजनाल नदी के उद्गम स्थल पर पूजा अर्चना की और पौधे लगाए
      
खूमी में सामुदायिक भवन निर्माण के लिए 25 लाख रुपए स्वीकृत करने की घोषणा की

       हरदा । पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने शनिवार को रहटगांव तहसील के ग्राम खूमी में स्थित अजनाल नदी के उद्गम स्थल पर पहुंचकर विधिवत पूजा अर्चना की। इस अवसर पर उन्होंने ग्राम खूमी में सामुदायिक भवन निर्माण के लिए 25 लाख रुपए स्वीकृत करने की घोषणा की।
 कार्यक्रम में पूर्व मंत्री  कमल पटेल, जिला पंचायत अध्यक्ष गजेंद्र शाह, उपाध्यक्ष दर्शन सिंह गहलोत, जिला भाजपा अध्यक्ष  राजेश वर्मा, जिला पंचायत सदस्य ललित पटेल, पूर्व विधायक संजय शाह के साथ-साथ वन मंडल अधिकारी श्री अनिल चोपड़ा एवं जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी सविता झानिया सहित, कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एवं संयुक्त कलेक्टर संजीव नागू सहित अन्य अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि भी मौजूद थे। 
         पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल ने इस अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश में सबसे अधिक नदियों के उद्गम स्थल हैं। इसलिए हमारे प्रदेश को "नदियों का मायका" कहा जाता है । हमें नदियों के उद्गम स्थलों को संरक्षित करना चाहिए, नदियों के उद्गम स्थल पर भरपूर ऊर्जा होती है। उन्होंने कहा कि नदियों के आसपास ट्यूबवेल उत्खनन तथा वृक्षों की कटाई के कारण कई नदियां नष्ट होने के कगार पर हैं। नदियों के स्रोतों को जिंदा रखना जरूरी है। 
         मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि हम नदियों के स्रोतों को नष्ट कर रहे हैं और नहरो का पानी नदियों में डालकर खुश हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में भरपूर नदियां होने के बावजूद यहां का जलस्तर घटना चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता नदियों के संरक्षण की है। अतः ज़रूरी है कि नदियों के किनारे वृक्ष लगाएं। मंत्री प्रहलाद पटेल ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अधिकारियों को निर्देश दिए कि बड़वानी से खूमी रोड के साइड शोल्डर भरवाएं।
      
    मंत्री प्रहलाद पटेल ने बरगद, नीम और पीपल के पौधे लगाए

    पंचायत ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने  शनिवार को ग्राम खूमी में अजनाल नदी के उद्गम स्थल पर वन विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित जनप्रतिनिधियों के साथ पीपल, बरगद एवं नीम के पौधे लगाए। उन्होंने उपस्थित अधिकारियों को नदी के उद्गम स्थल के आसपास और अधिक पौधे लगाने, तथा लगाए गए पौधों को संरक्षित करने के निर्देश  दिए।