जब-जब हिंदू समाज एकजुट होता है, तब-तब असंभव भी संभव हो जाता: भोजपाली बाबा

हरदा।श्रीराम ने अपने जीवन में समरसता का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया। जब उन्होंने जाति और वर्ण की सीमाओं से ऊपर उठकर निषादराज को गले लगाया और माता शबरी के झूठे बेर खाकर यह संदेश दिया कि मानव मानव समान है। यह बातें जिला कार्यवाहक गोविंद सिंह ने नेहरू स्टेडियम पर आयोजित धर्म सभा को संबोधित करते हुए कही।
शहर में राम नवमी पर निकली शोभायात्रा के पश्चात सोमवार रात नेहरू स्टेडियम में आयोजित धर्मसभा में प्रमुख संत भोजपाली बाबा ने अपने उद्बोधन में हिंदू समाज की संगठित चेतना को जागृत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जब-जब हिंदू समाज एकजुट होता है, तब-तब असंभव भी संभव हो जाता है। श्रीराम मंदिर उसका जीवंत प्रमाण है। उन्होंने मथुरा और काशी की मुक्ति की ओर संकेत करते हुए “एक है तो सेफ है” जैसे नारों से समाज को संगठन की ताकत का अहसास कराया।
जिला कार्यवाहक गोविंद सिंह ने प्रभु श्रीराम को पंच परिवर्तन के मान बिंदु' बताते हुए विस्तार से उनके जीवन के प्रेरणास्रोत पहलुओं को साझा किया। उन्होंने कहा कि श्रीराम ने अपने जीवन में समरसता का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया जब उन्होंने जाति और वर्ण की सीमाओं से ऊपर उठकर निषादराज को गले लगाया और माता शबरी के झूठे बेर खाकर यह संदेश दिया कि मानव मानव समान है।
उन्होंने कुटुंब प्रबोधन का भी आदर्श प्रस्तुत किया – अपने पिता की आज्ञा को सर्वोपरि मानकर वनवास स्वीकार किया, और अपने भाइयों को राज्य सौंपकर परिवार की मर्यादा को सर्वोपरि रखा। प्रभु श्रीराम के जीवन में स्व का जागरण भी स्पष्ट रूप से दिखता है। उन्होंने अपने भीतर की चेतना को जागृत कर वानरसेना के साथ मिलकर राक्षसी प्रवृत्तियों का समूल नाश किया और समस्त समाज को यह संदेश दिया कि प्रत्येक व्यक्ति के भीतर राम है, जिसे पहचानना आवश्यक है। और अंत में, उन्होंने पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी निभाया। चौदह वर्षों का वनवास उन्होंने धरती माता की गोद में बिताया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रकृति के साथ सामंजस्य में ही मानव का कल्याण है। कार्यक्रम का समापन भारत माता और प्रभु श्रीराम की सामूहिक आरती के साथ हुआ। इस आयोजन ने यह मिथक भी तोड़ दिया कि हिंदू समाज संगठित नहीं हो सकता। हजारों की संख्या में उपस्थित लोगों ने एक स्वर में यह संकल्प लिया कि श्रीराम के आदर्शों पर चलकर समाज को सशक्त, समरस और संगठित बनाएंगे। आयोजन समिति के संयोजक मुन्नालाल धनगर ने समस्त नागरिकों, समाजों और कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह आयोजन केवल एक पर्व नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना का उद्घोष है। जो आने वाले समय में समस्त समाज में जागृति बनाए रखेगा।