आनंद गौर हरदा। नारी भावना ही नही बल्कि शक्ति, प्रेम, त्याग व जिम्मेदारी की पहचान हैं। यह बात नगर पालिका अध्यक्ष भारती राजू कमेड़िया ने अखिल भारतीय कवयित्री समागम एवं सम्मान समारोह में कही। उन्होंने कहा कि अतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आज का यह आयोजन केवल उत्सव नहीं बल्कि नारी सशक्तिकरण का एक प्रेरणादायक मंच है। महिलाएँ समाज की आधारशिला हैं। उनकी कलम, उनकी सोच और उनका संघर्ष हमारे समाज को नई दिशा देते हैं। नारी सिर्फ एक भावना नहीं, बल्कि शक्ति, प्रेम, त्याग व जिम्मेदारी की पहचान है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही डॉ विनीता रघुवंशी ने कहा कि प्राचीन काल से नारी पूज्यनीय हैं लेकिन कुछ लोगों की फैशन और आधुनिकता के कारण सम्मान कम हो रहा है। पुरातन काल से महिलाओं को हमेशा सम्मान मिल रहा है। आज नारी हर क्षेत्र में दाखिल हैं, अंतरिक्ष तक पहुंच गए। महिलाएं हर तरफ कदम बढ़ा रही हैं। गृह कार्य करते करते सभी टास्क पूरे करती हैं। नर्मदा आव्हान सेवा समिति नर्मदापुरम एवं हरदा इकाई के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर कवयित्री काव्य कुंभ व सम्मान समारोह का आयोजन स्थानीय बागबान होटल में हुआ। कार्यक्रम में विशेष अतिथि बालाघाट की कवयित्री सरिता कोहिनूर, कवयित्री रानू रूही, इंदौर की कवयित्री वंदना वर्मा दुबे  मंच पर उपस्थित रहे। दीप प्रज्वलन के बाद उपस्थित अतिथियों का स्वागत हुआ। स्वागत भाषण कार्यक्रम संयोजक जयकृष्ण चांडक ने प्रस्तुत किया। शुरुआती संचालन कपिल दुबे ने किया। जबकि आभार लोमेश गौर और शिरीष अग्रवाल ने माना। कार्यक्रम के संयोजक कैप्टन किशोर करैया ने नर्मदा आव्हान समिति के उद्देश्यों व कार्यों की रूपरेखा प्रस्तुत की। सरस्वती वंदना मेघा मिश्रा ने प्रस्तुत की। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस  के अवसर एक अद्भुत साहित्यिक आयोजन के लिए नारी शक्ति एकत्रित हुई, जहाँ सभी ने  साहित्य,कविता, गीत और गजल के माध्यम से नारी के सम्मान और योगदान को सराहा। लगभग 44 कवयित्रियों ने काव्यपाठ किया और मंच से उन्हें स्मृति चिन्ह व सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ प्रभु शंकर शुक्ल, डॉ पराग नाईक, समजसेवी अशोक नेगी, साहित्यकार ज्ञानेश चौबे, लेखक संघ के जिला अध्यक्ष जीआर गौर उपस्थित रहे।  
कविताएं सुनकर बटोरी तालियाँ 
नरसिंहपुर की मेघा मिश्रा ने ‘’ जो लिखें गीत तेरे लिए ही कभी 
उनको कैसे में गाऊं तुम्हे देख कर सुनकार तालियाँ बटोरी। कवयित्री ज्योति श्रीवास्तव ने ‘’ बेसहारा न अबला बेचारी हूं मैं, युग युगों से सबल एक नारी हूं मैं सुनाई। भोपाल की अभिलाषा श्रीवास्तव ने अनुभूति हाथ जबसे तुम्हारा हाथ में आया है सुनाया। हरदा की कवयित्री प्रज्ञा अग्रवाल ने कहा कि मन में ही बसंत, मन में ही पतझड़ होता है। देवास की मोना गुप्ता ने डाल डाल पे टेसू फूले, ज्यों धधकती आग सुनाया। डॉ मनीषा बाजपेयी ने बहुत कठिन होता है
एक औरत का रोटी के वृत से निकलना सुनाई। अनुराधा गहरवार कोतमा ने जवाब से टूटे हुए पातों की तरह जिंदगी ढह गई बातों की तरह सुनाई। इसके अलावा अन्य सभी कवयित्रियों ने शानदार काव्यपाठ किया। काव्य पाठ 4 सत्र में हुआ। पहले सत्र का संचालन सुनीता पटेल ने किया, दूसरे सत्र का संचालन रागिनी मित्तल ने किया। तीसरे सत्र का संचालन सरिता कोहिनूर और चतुर्थ सत्र का मधू माधवी ने किया।